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राजस्थान के उतरी-पूर्वी अंचल के चूरू जिले में तारानगर बालु के स्वर्णिम स्तूपों एवं धोरा वाला योधेय क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। इतिहास निर्माण में तारानगर की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। यह नगर शिक्षा का केन्द्र बन गया है।
प्रकृति के रम्य परिवेश तथा शैक्षिक माहौल में इस संस्था की गणना शेखावाटी क्षेत्र की श्रेष्ठ शिक्षण संस्थाओं में होती है। यह महाविद्दालय शिक्षा का अनुपम केन्द्र है जहाँ छात्र-छात्राएं एक साथ शालीन वातावरण में शिक्षा अर्जन में संल्गन हैं। इस संस्था की स्थापना 1996-97 में प्राथमिक विद्दालय के रूप में की गई। सफलता के पथ पर अग्रसर होते हुए 2005 में इसने महाविद्दालय का रूप गृहण किया। प्रारम्भिक वर्ष में केवल कला संकाय का अध्यापन शुरु किया गया। अपने कदमों को मजबूत रखते हुए 2006-07 में कला एवं विञान वर्ग की माइक्रोबाइलोजी एवं बायोटेक जैसे नवीनतम विषय के साथ अध्ययन-अध्यापन की व्यवस्था हुई।
शिक्षा की ज्योति को तीव्र करते हुए सत्र 2009-10 में कला एवं विज्ञान की सनातक कक्षाओं के साथ-साथ B. Com. एवं BCA के अध्यापन की व्यवस्था की गई। 2011-12 से महाविद्दालय में स्नातकोतर(एम. ए., एम. एस. सी.) की कक्षायें प्रारम्भ हैं। महाविद्दालय में प्रभावी शिक्षण के लिये कुशल मानवीय संसाधन हैं जो अपने मृदु व्यवहार एवं विषय ज्ञान से विद्दार्थी के दृष्टिकोण में परिवर्तन एवं परिष्करण के कार्य को बखुबी अंजाम देने में प्रयत्नशील हैं। महाविद्दालय में अनुभवी प्रशिक्षित कुशल एवं पर्याप्त प्रवक्ता शिक्षण मुल्याकन एवं मार्गदर्शन की व्यवस्था बनाने के कार्यों में संल्गन रहते हैं।
मानवीय संसाधनों के साथ महाविद्दालय के समुचित एवं पर्याप्त भौतिक संसाधन उपलब्ध हैं। महाविद्दालय में पर्याप्त विद्दार्थियों के अध्ययन हेतु विशाल कक्ष है, जिनमें शुद्द वायु के आवागमन व प्रकाश की व्यवस्था के साथ फर्नीचर, श्यामपट्ट एवं विद्दुत की पूर्ण व्यवस्था है। इसके साथ विशाल पुस्तकालय, खुला व शान्त वाचनालय एवं सादगी एवं सज्जापुर्ण संकाय कक्ष, ध्वनि व ताप प्रतिरोधी विशाल सभाग्रह आवश्यक एवं नवीनतम उपकरणों से युक्त प्रयोगशालाएं, प्राचार्य जी के निरीक्षण व महाविद्दालय के केन्द्र में स्थित छात्रा कक्ष, घास एवं सुविधाओं से पूर्ण स्तरीय खेल मैदान, शुद्दता एवं तत्परता से सेवा प्रदेयता रिक्रियेशन सैन्टर, शीतल एवं शुद्द्पेय के जल्ग्रह, सुरक्षित एवं बडा वाहन स्टैण्ड, स्वच्छ एवं पर्याप्त शोचालय, कम्प्यूटर एवं अन्य साधनों से युक्त प्रशासनिक कक्ष आदि वांछित एवं उत्कॄष्ट आधारभूत सुविधाएं यहाँ स्थापित हैं। सुविधाओं से सम्पन्न महाविद्दालय का पांच मंजिला भव्य एवं विशाल भवन अपने खुले, शांत, प्रकृति के रगों एवं पौधों की हरीतिमा से सज्जित परिसर से युक्त है। प्रवक्ताओं के अलावा मानवीय संसाधनों में प्रबंध समिति लिपिक वर्ग एवं कर्मचारीगण भी अपनी अहम भूमिका रखते हैं। इनके सामुहिक प्रयासों से शिक्षण कार्य प्रभावी व सुचारू रूप से सम्पन्न होता है।
मानवीय संसाधनों की कुशलता व भौतिक संसाधनों की पर्याप्तता एवं उत्कृष्टता के संयोजन में विद्दार्थी को केन्द्र में रखकर एक सामुहिक प्रयास किया जाता है ताकि निम्न वांछित उद्देश्य प्राप्त किये जा सके-
  • 1. विद्दार्थी की मानसिक शक्ति का विकास हो।
  • 2. विद्दार्थी में व्यवसायिक कुशलता का विकास हो।
  • 3. अभिभावक छात्राओं के महाविद्दालय में आने पर पुर्णत: सुरक्षित महसूस करें।
  • 4. विद्दार्थी के लोकतांत्रिक गुणों एवं वैञानिक सोच का विकास हो।
  • 5. नेतृत्व कौशल का विकास हो।